सेहत से सौंदर्य तक हल्दी के गुण कुछ इस प्रकार

हैरान कर देंगे हल्दी के यह नुकसान, लाभकारी गुण तथा उपयोग

यूं तो हल्दी हर रसोई घर में पाए जाने वाला प्रमुख मसालों में से एक है जो खाने का स्वाद और रंग दोनों को निखारने का काम करती है। देखा जाए तो, इसे अदरक का प्रिय चचेरा भाई भी कह सकते हैं क्योंकि इसकी जड़े बिल्कुल अदरक की तरह ही होती है।

हल्दी के औषधीय गुण

हल्दी का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक पुराने समय से ही औषधि के रूप में करते आ रहे हैं। यह शक्तिशाली मसाला कई बीमारियों से छुटकारा देने के लिए भी एक विकल्प है खाने के साथ ही इसके विशेष औषधीय गुण भी है जो विभिन्न रोगों को ठीक करने में काम आती है हल्दी में पाए जाने वाले गुण की सूची अविश्वसनीय है जैसे कि एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल एंटीकार्सिनोजेनिक और एंटी इंफ्लेमेटरी शामिल है।

करक्यूमिन एक प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट है इसमें सूजन को कम करने के गुण होते हैं, साथ ही उम्र के बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने तथा अल्जाइमर जैसे रोग को भी रोकने में मदद करते हैं।

हल्दी के विशेष फायदे

यह स्वाद से भरा मसाला मुख्य रूप से भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य हिस्सों में पाया जाता है। हल्दी हल्के नारंगी पीले चमकीले रंग में होती है। हल्दी एक तरह का मसाला तथा जड़ी-बूटी भी है। यह करकुमा लोंगा पौधे की जड़ से प्राप्त किया जाता है। हल्दी का सबसे प्रमुख सक्रिय अंश है करक्यूमिन होता हैं यह हल्दी को पीला रंग प्रदान करता है।

तो आइए जानते हैं इसके कुछ फायदे-

सूजन से आराम

हल्दी का उपयोग आमतौर पर सूजन से लड़ने तथा इसे कम करने के लिए किया जाता है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन सूजन को कम करने के गुण रखता है।

उपयोग कि विधि

10-15 ग्राम पिसी हुई हल्दी में थोड़ा सा सरसों का तेल डालकर इसे पेस्ट सा बना ले, अब इस बने हुए पेस्ट को धीमी आंच पर गर्म कर लें और फिर इसे सूजन वाली जगह पर लगाएं। अच्छे परिणाम पाने के लिए आप इसे सूजन वाली जगह पर रात भर लगाकर छोड़ भी सकते हैं।

इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए

हल्दी में लाइपोपॉलीसेकेराइड (Lipopolysaccharide) नामक पदार्थ होता है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करने में मदद करता है इसके एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल तथा एंटी-फंगल एजेंट भी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सहायता करते हैं। यदि आप सर्दी, जुखाम, खांसी से पीड़ित है तो इसका उपयोग अवश्य करें।

उपयोग कि विधि

इम्यूनिटी को बनाए रखने तथा फ्लू से दूर रहने के लिए रोजाना एक गिलास हल्के गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर पी लें।

हृदय संबंधित बीमारी में

एक अध्ययन से पता चलता है कि, हल्दी हृदय रोग के विकास की संभावना तथा स्वास्थ्य सुधार में मदद कर सकता है आयुर्वेद में हल्दी को रक्त शोधन में महत्वपूर्ण बताया गया है। हल्दी के सेवन से रक्त शोधित होता रहता है जिससे की ब्लड सर्कुलेशन भी अच्छा होता है। ब्लड सर्कुलेशन अच्छे से होने के कारण रक्त पतला होने लगता है तथा धमनियों में रक्त का प्रभाव बढ़ जाता है जिससे कि व्यक्ति को हृदय संबंधी परेशानियां नहीं होती।

मधुमेह से बचने या उसके स्तर को कम करने में

हल्दी में के एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण डायबिटीज को कम करने में मददगार साबित हुआ है। यह इंसुलिन के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है और मधुमेह में चलने वाले दवाओं के प्रभाव को बढ़ाता भी है। इस प्रकार यह रक्त शर्करा के स्तर पर अनुकूल प्रभाव डालता है।

उपयोग कि विधि

रात में खाना खाने के आधे घंटे बाद 1 ग्लास दूध में 1/2 चम्मच हल्दी मिलाकर पीने से मधुमेह की समस्या को दूर किया जा सकता हैं।

परंतु याद रहे इसके ज्यादा सेवन से शुगर की निर्धारित मात्रा को भी कम कर सकता है।

चोट का घाव भरने में

हल्दी में प्राकृतिक एंटीसेप्टिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो इसे एक प्रभावी कीटाणुनाशक बनाते हैं। हल्दी को संक्रमण की रोकथाम के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यदि त्वचा कहीं जल या कट जाए तो हल्दी पाउडर को उस स्थान पर लगा सकते हैं, इससे चोट जल्दी ठीक होगा।

उपयोग कि विधि-

चोट से राहत पाने के लिए हल्दी में एक चुटकी चुना मिलाकर इसे अच्छे से मिक्स कर लें, और फिर इसे चोट वाली जगह पर लगाएं।

हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए

हल्दी में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गुण होते हैं जो हड्डी से संबंधित समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं इसका सेवन दूध के साथ किया जाए तो काफी लाभ देखने को मिलते हैं क्योंकि दूध में कैल्शियम मौजूद होता है जो हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है।

उपयोग कि विधि-

हड्डी को मजबूत रखने तथा दर्द को दूर करने के लिए एक ग्लास दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर डालक,र इसका प्रतिदिन सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं।

खासकर इसका सेवन ठंडी में ज्यादा होता है।

लीवर को स्वस्थ रखने में

हल्दी को महत्वपूर्ण एंजाइमों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है। हल्दी एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों के कारण लोकप्रियता हासिल किया है, यह हमारे शरीर को मुक्त करों तथा लीवर को विषाक्त पदार्थों से क्षतिग्रस्त होने से भी बचाते हैं। तथा उसे डिटॉक्सिफाई भी करते हैं। हल्दी परिसंचरण में सुधार करके लीवर के अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में सहायक होता है।

उपयोग कि विधि-

हल्दी का उपयोग आप किसी भी रूप में कर सकते हैं जैसे की कच्ची हल्दी का अचार या चटनी बना के। लीवर से जुड़ी किसी भी बीमारी के लिए कच्ची हल्दी का सेवन करना लाभदायक होता है, परंतु लीवर से जुड़ी कोई भी बीमारी के मरीजों को हल्दी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लेना चाहिए।

चेहरे की रंगत के लिए

हल्दी एंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर एक ऐसा दिव्य मसाला है, जो चेहरे को अद्भुत चमक प्रदान करता है। इसमें करक्यूमिन होता है जो एक एंटी-इन्फ्लेमेटरी एजेंट है जो सूजन से छुटकारा पाने में मदद करता है यानी केवल आपकी त्वचा को चमक नही देता है बल्कि आपकी त्वचा को फिर से जीवित करता है। हल्दी कॉलेजन के उत्पादन को भी बढ़ाती है जो त्वचा को कोमल और ताजा रखने में मदद करती है

उपयोग कि विधि-

 एक कप बेसन में लगभग आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाएं तथा पर्याप्त दूध या पानी डालें और अच्छी तरह मिलाएं और इसे एक पेस्ट सा बना लें। अब इसमें गुलाब जल की कुछ बूंदें डालें और फिर इसे अच्छे से मिलाकर कर एक पेस्ट सा तैयार कर लें। अब इस बने हुए पेस्ट को अपने चेहरे और गर्दन पर लगाएं तथा इसके सूखने तक इंतजार करें औरफिर इसे ठंडे पानी से धो लें।

हफ्ते में दो बार इसका सेवन करने से नहीं अच्छे परिणाम नजर आएंगे।

अल्जाइमर से बचाव के लिए

हल्दी में एंटी-ऑक्सीडेंट, करक्यूमिन के अलावा और एक महत्वपूर्ण घटक भी होता है जिसे टरमरोन कहते हैं। एक शोध में पाया गया कि यह यौगिक मस्तिष्क की स्टेम कोशिकाओं की मरम्मत करने में बढ़ावा दे सकता है। यह वही स्टेम कोशिकाएं हैं, जो स्ट्रोक और अल्जाइमर जैसी न्यूरोडीजेनरेटिव बीमारियों से उबरने में मदद कर सकती हैं

 यह स्ट्रोक और अल्जाइमर रोग जैसे न्यूरोडीजेनरेटिव बीमारियों को रोकने में भी मदद कर सकता है। एक अध्ययन में बताया गया कि, करक्यूमिन अल्जाइमर रोग में स्मृति के सुधार में भी मदद कर सकता है हल्दी मस्तिष्क में ब्लॉक के गठन को हटाने और ऑक्सीजन के प्रवाह को सुधारने में सहायता करता है तथा समग्र मस्तिष्क को स्वास्थ्य बनाए रखने में सक्षम होता है हल्दी अल्जाइमर रोग की गति को धीमा कर सकती है या उस पर रोक भी लगा सकती है।

उपयोग कि विधि-

एक ग्लास दूध में एक चम्मच हल्दी पाउडर तथा एक चम्मच अदरक का पाउडर डालें अब इससे 5 से 10 मिनट के लिए धीमी आंच पर उबाल लें और फिर इसका सेवन करें

हल्दी का सेवन कैसे करें-

  1. हल्दी का उपयोग रंग तथा स्वाद के लिए विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में पकाने में किया जा सकता है।
  2. अधिकतम स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए हल्दी के साथ काली मिर्च का भी सेवन करें क्योंकि काली मिर्च में पिपेरीन नामक यौगिक होता है जो, हमारे शरीर में हल्दी के अवशोषण हो बढ़ाने में मदद करता है।
  3. दूध में हल्दी मिलाकर जिसे हम “गोल्डन मिल्क” या “हल्दी वाला दूध भी” कहते हैं इसका सेवन करने से शरीर पर अत्यधिक सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  4.  काढ़ा बनाते वक्त उसमें थोड़ी मात्रा में कच्ची हल्दी या हल्दी पाउडर भी डाला जा सकता है।

हल्दी से होने वाले नुकसान

  1. हल्दी की अधिक खुराक से एसिड रिफ्लक्स, डायरिया तथा चक्कर आना और सिरदर्द हो सकता है।
  2. हल्दी, रक्त के धक्के को धीमा कर सकती है। इससे रक्तस्राव विकारों वाले लोगों में चोट लगने पर रक्तस्राव का खतरा बढ़ सकता है।
  3. हल्दी जीईआरडी जैसी पेट की समस्याओं को और खराब कर सकती है।
  4. हल्दी की माञा अगर जरूरत सें ज्यादा ले ली जाए तो, मधुमेह के रोगियों में रक्त शर्करा को बहुत कम कर सकती है।

निष्कर्ष

हल्दी के फायदे और नुकसान आपने जाने। आप भी इस आयुर्वेदिक औषधि (हल्दी) का सेवन कर इन फायदों को प्राप्त कर सकते हैं। हल्दी बहुत ही गुणकारी तथा लाभदायक औषधियों में से एक है, जो कई तरह के रोगों से लड़ने  बचाने में आपकी मदद करता है।

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