शतावरी
शतावरी (शतावरी रेसमोसस) इस वजह से वरदान हैं
शतावरी को शतावरी रेसमोसस के नाम से भी जाना जाता है। यह शतावरी परिवार का सदस्य है। यह एक एडाप्टोजेनिक जड़ी बूटी भी है। कहा जाता है कि एडाप्टोजेनिक जड़ी-बूटियाँ आपके शरीर को शारीरिक और भावनात्मक तनाव से निपटने में मदद करती हैं।
कहाँ पाई जाती हैं
शतावरी भारत के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाने वाला एक लोकप्रिय औषधीय पौधों में से एक है। इस पौधे को आमतौर पर ‘शतावरी’ कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है ‘जिसके सौ पति हों या जो कई लोगों को स्वीकार्य हो’। यह पौधा उष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों और हिमालय में समुद्र तल से 1,500 मीटर तक व्यापक रूप से उगाया जाता है। श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और उष्णकटिबंधीय अफ्रीका भी इस प्रजाति के घर हैं।
शतावरी के विशेष औषधीय गुण
शतावरी एक प्राकृतिक पूरक है जिसका उपयोग लोग सदियों से करते आ रहे हैं। शतावरी कई शाखाओं के साथ एक कांटेदार अधोभाग है और कई कंद जड़ों वाला एक छोटा कंदमूल जड़ों का भंडार है। सतावर का उपयोग प्रतिरोधात्मक शक्ति बढ़ाने के लिए किया जाता है सतावर जंगल में स्वतः उत्पन्न होते हैं चूकि, इसका औषधीय महत्त्व भी है अतः इसका व्यवसायिक उत्पादन भी लोग करने लगे हैं।
सतावर से मिलने वाले कुछ विशेष फायदे
आयुर्वेदिक हर्बल औषधि में महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण जड़ी बूटियों में से एक हैं इसका उपयोग मासिक धर्म होने वाले हार्मोंस के बदलाव में किया जाता है प्रजनन के लिए टॉनिक के रूप में माना जाता है सतावर को किसी भी टॉनिक के रूप में आप ले सकते हैं जैसे नींद ना आना, थकान, चिड़चिड़ापन आदि।
शतावर के कुछ महत्वपूर्ण फायदे
एंटीऑक्सीडेंट गुण में
सतावर में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो हमारी हमारी कोशिका को क्षति होने से रोकने में मदद करते हैं ऑक्सीडेटिव तनाव से भी लड़ते हैं जो बीमारी का कारण बनती है। शतावरी में सैपोनिन की मात्रा अधिक होती है यह एक एंटीऑक्सीडेंट क्षमता वाले यौगिक होते हैं।
अवसाद से बचने के लिए
शोध के अनुसार सालाना लाखों वयस्क अवसादग्रस्त होते हैं फिर भी बहुत से लोग नकारात्मक दुष्प्रभाव के कारण डिप्रेशन की दवाई नहीं ले सकते। आयुर्वेद में शतावरी का उपयोग डिप्रेशन के इलाज के लिए किया जाता है। 2009 में एक अध्ययन में पाया गया कि शतावरी में मजबूत एंटीऑक्सिडेंट अवसादरोधी क्षमता रखने वाले तत्व पाए जाते हैं।
प्रतिरक्षा प्रणाली के समर्थन में
आयुर्वेद में शतावरी का प्रयोग रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है सतावर शतावरी जड़ के अर्क लेने से हमारे शरीर में एंटीबॉडी की वृद्धि होती शोध से पता चला है कि, शतावरी प्रतिरक्षा कोशिकाओं को उत्तेजित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है है। जानवरों पर प्रारंभिक शोध करने के बाद ये सुझाव दिया गया कि शतावरी का उपयोग मानव शरीर कि प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में किया जा सकता हैं।
पाचन या अल्सर की समस्या को दूर करने के लिए
शतावरी गैस्ट्रिक समस्याओं के इलाज के लिए भी जानी जाती है शतावरी पाचन एंजाइम लाइपेज और एमाइलेज की गतिविधि को बढ़ाकर पाचन में सुधार करता है लाइपेज वसा के पाचन में सहायता करता है जबकि एमइलेज कार्बोहाइड्रेट के पाचन में सहायता करता है। शतावरी की सूखी जड़ों को पाउडर में बदल लिया जाता है और फिर इसका रस बनाया जा सकता है इस रस का सेवन करने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में होने वाले अल्सर और अन्य बीमारियों को ठीक करने के लिए आदर्श माना जाता है यदि इसका सेवन नियमित रूप से किया जाए तो यह गैस्ट्रोपैरेसिस को भी ठीक कर सकता है।
दस्त के लिए शतावरी के फायदे
शतावरी का उपयोग दस्त के लिए लोक उपचार के रूप में किया जाता है। दस्त से गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जैसे निर्जलीकरण और इलेक्ट्रोलाइट का असंतुलन। दस्त के इलाज के लिए सदियों पुरानी दवा है शतावरी । अध्ययन के अनुसार, शतावरी जड़ों के एथेनॉल और जलीय अर्क में डायरिया-रोधी गुण होते हैं। यह अर्क प्रोस्टाग्लैंडीन उत्पादन को रोककर काम कर सकता है, जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल गतिशीलता और स्राव को प्रतिबंधित करता है।
गुर्दे (किडनी) की पथरी के लिए
जब मूत्र में कैल्शियम, ऑक्सालेट, यूरिक एसिड और सिस्टीन जैसे कुछ पदार्थों का कंसंट्रेशन बढ़ने लगता है, तो वे क्रिस्टल बनाने लगते हैं जो गुर्दे से जुड़ने लगते हैं और धीरे-धीरे आकार में बढ़ कर पथरी का रूप लेने लगते हैं। 80% पथरी कैल्शियम के बने पत्थर होते हैं, और कुछ कैल्शियम ऑक्सालेट तथा कुछ कैल्शियम फॉस्फेट के होते हैं। बाकी पत्थर यूरिक एसिड पत्थर, संक्रमण पत्थर और सिस्टीन पत्थर होते हैं।
एक अध्ययन में पाया गया कि, शतावरी जड़ के अर्क ऑक्सलेट पत्थरों के निर्माण को रोकने का कार्य करते है। यह मूत्र में मैग्नीशियम की एकाग्रता को भी बढ़ाता है माना जाता है कि, शरीर में मैग्नीशियम का उचित स्तर मूत्र में क्रिस्टल के विकास को रोकने में मदद करता है जो कि किडनी में बनते हैं।
महिलाओं के लिए शतावरी के फायदे
महिलाओं के लिए शतावरी कई बीमारियों में बेहतरीन इलाज साबित करती है। इसमें दूध के उत्पादन में वृद्धि, प्रजनन क्षमता, मासिक धर्म इत्यादि। प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा में सदियों से इसका उपयोग जीवन शैली को बेहतर बनाने के लिए किया जाता रहा है।
प्रजनन क्षमता के लिए
किसी भी महिला को एक संतोषजनक संभोग पसंद है परंतु बहुत से महिलाओं में देखा गया है कि वह संभोग करना चाहती हैं पर उनकी इच्छा नहीं होती । शतावरी महिलाओं में सेक्स की इच्छा बढ़ाने के लिए जाना जाता है शतावरी के मुख्य घटक सपोनिन जो एस्ट्रोजन को नियंत्रित करने में मदद करते हैं । यह मासिक धर्म को नियंत्रित करने में तथा मासिक धर्म के समय असहनीय दर्द को कम करने और खोए हुए रक्त की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद करता है।
स्तनपान के लिए
कम दूध उत्पादन के कारण महिलाओं को आमतौर पर अपने नवजात शिशु को स्तनपान कराने में कठिनाई होती है। ऐसा कई कारणों से हो सकता है जैसे कि एनीमिया, निम्न रक्तचाप या केवल तनाव। स्तनपान कराने वाली महिला शतावरी पाउडर का उपयोग करती हैं शतावरी प्रोलेक्टिन के उत्पादन को बढ़ाती है प्रोलैक्टिन एक हार्मोन है, जो स्तनपान के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शतावरी का प्रतिदिन सेवन करने से दुग्ध उत्पादन में सहायता मिलती हैं। शतावरी एक प्राकृतिक जड़ी बूटी है इसलिए यह बच्चे को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती।
एक चौथाई चम्मच शतावरी पाउडर या चूर्ण ले और दूध या शहद के साथ दिन में 2 बार इसका सेवन करें। इसका सेवन तभी तक करें जब तक आपके डॉक्टर इसे लेने के लिए कहे हों।
असंतुलन हार्मोंस तथा बांझपन दूर करने के लिए
शतावरी स्वाभाविक रूप से महिलाओं के शरीर में एंटीऑक्सीडेंट बढ़ाने के लिए जानी जाती है, यह मासिक धर्म में भी सुधार करती है। शतावरी का उपयोग हार्मोन असंतुलन से संबंधित स्त्रियां जैसे पीसीओएस और बांझपन के इलाज के लिए करती है। कुछ लोगों के लिए प्रजनन संबंधी समस्याएं उन्हें एक खुशहाल जीवन जीने से रोकती है, शतावरी में कुछ ऐसे लाभकारी तत्व होते हैं। जिसके सेवन से प्रजनन संबंधी समस्याओं को दूर रखा जा सकता है और प्रेगनेंसी की संभावना अधिक हो जाती है। क्योंकि यह एक शक्तिशाली जड़ी बूटियों में से एक है।
शोध के मुताबिक, यदि कोई महिला 3 से 5 ग्राम शतावरी लेती है तो उनके हार्मोन का संतुलन बना रहता है। (उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर ले)।
शतावरी (चूर्ण) पाउडर का उपयोग कैसे करे
शतावरी पाउडर को पानी के साथ मिलाकर प्रयोग किया जाता है यह पाउडर थोड़ा मीठा और कुछ कड़वा सा लगता है अगर पानी में लेने से स्वाद पसंद ना आए तो आप इसे दूधि या जूस के साथ भी ले सकते हैं। शतावरी पाउडर की एक सामान्य खुराक 500 मिलीग्राम दिन में दो बार ले सकते हैं।
कोई भी हर्बल सप्लीमेंट लेने से पहले आपको किसी योग्य चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए, खासकर यदि आप पहले से ही स्वास्थ्य संबंधित कोई दवा ले रहे हैं। चिकित्सक आपके लिए सही खुराक निर्धारित करने में आपकी सहायता कर सकते हैं।
निष्कर्ष
शतावरी का उपयोग सदियों से आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता रहा है। यह कई प्रकार की चिकित्सीय स्थितियों को ठीक कर सकता है, शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। और महिला प्रजनन स्वास्थ्य में मदद कर सकती है। एक मूत्र वर्धक के रूप में कार्य कर सकती है ताकि शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ निकाला जा सके। शतावरी हार्मोनल असंतुलन, गठिया, बुखार और सिर दर्द को ठीक करने में भी मदद कर सकती हैं। ज्यादातर मामलों में यह देखा गया कि, यह मधुमेह के रोगियों के रक्त शर्करा के स्तर को काफी हद तक नियंत्रित करके उनकी मदद कर सकता है।